हमारे देश में जन्मे एक मठवासी संत, जिन्होंने अपने छोटे से जीवनकाल में अपने कार्यों के कारण प्रसिद्धि प्राप्त की और केवल देश ही नहीं, विदेशों में भी उनके ज्ञान और मंतव्यों का लोहा माना गया.
नरेन्द्र की शिक्षा दीक्षा
स्वामी विवेकानंद ने भारत के आध्यात्मिक उत्थान [Spiritual Enlightenment] के लिए बहुत कार्य किया. पश्चिम के देशों में वेदांत फिलोसफी फैलाई. वे वेदांत फिलोसोफी के सर्वाधिक प्रभावी, आध्यात्म प्रमुख व्यक्ति थे और उन्होंने गरीबों की सेवा के लिए “रामकृष्ण मिशन” की स्थापना की. वे त्याग की मूर्ति थे और उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन देश और गरीबों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. इसके लिए वे हमेशा लालायित रहते थे. उन्होंने देश के युवाओं में प्रगति करने के लिए नया जोश और उत्साह भर दिया था. वे एक देशभक्त संत के रूप में जाने जाते हैं, इसलिए उनके जन्म दिवस को “राष्ट्रीय युवा दिवस” के रूप में मनाया जाता हैं.
स्वामी विवेकानंद की यात्राएं
सन 1890 में नरेन्द्र ने लम्बी यात्राएँ की, उन्होंने लगभग पूरे देश में भ्रमण किया. अपनी यात्राओं के दौरान वे वाराणसी, अयोध्या, आगरा, वृन्दावन और अलवर आदि स्थानों पर गये और इसी दौरान उनका नामकरण स्वामी विवेकानंद के रूप में हुआ, उनके अच्छे और बुरे में फर्क करके अपने विचार रखने की आदत के कारण यह नाम उन्हें खेत्री के महाराज ने दिया था. इस यात्रा के दौरान वे राजाओं के महल में भी रुकें और गरीब लोगों के झोपड़ों में भी. इससे उन्हें भारत के विभिन्न क्षेत्रों और वहाँ निवास करने वाले लोगों के संबंध में पर्याप्त जानकारी मिली. उन्हें समाज में जात – पात के नाम पर फैली तानाशाही के बारे में जानकारी मिली और इस सब से अंततः उन्हें ये समझ आया कि यदि उन्हें एक नये विकसित भारत का निर्माण करना हैं तो उन्हें इन बुराइयों को ख़त्म करना होगा.